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Saturday, October 24, 2020

Manoj Kumar Ponda, Oriya poem, Translated by Pradip Kumar Roy, यज्ञ दृश्य, Jayita Mukherjee, राधु_मिश्र,

 

Manoj Kumar Ponda


যজ্ঞ  দৃশ্য

                


মূল কবিতা ( ওড়িয়া) - কবি মনোজ কুমার পাণ্ডা


বাংলা অনুবাদ :- প্রদীপ কুমার রায়



বিরল এক ঘটনা ঘটেছে  ।


এসো , যে যেখানে আছো

সেই পবিত্র যজ্ঞকে প্রত্যক্ষ কর      

নিজ নিজ রুদ্ধ ঘরের জানালা খুলে  ।


রোগ , ক্ষুধা , যুদ্ধ ও দাঙ্গায়

মৃত ষোল লক্ষ শিশুদের শুকনো হাড়ে

হোমের কুণ্ড প্রস্তুত  ।

ষাট মণ রক্ত

যা  ঝরেছে অপ্রাপ্তবয়স্কদের ধর্ষণে

আহুতি হবে সেখানে ।

পঞ্চশষ্য হবে -

দুর্ভিক্ষ পীড়িত লোকদের চোখ

সীমান্তে পাহারায় থাকা সৈনিকের হাত

বিস্থাপিত লোকদের হৃৎপিণ্ড,

অসময়ে খসে পড়া ভ্রুণ,

কবিদের কাটা আঙুল  ।


দুর্ঘটনায় মৃত লোকদের

শোকসন্তপ্ত মায়েদের চোখের জলে

 পূর্ণ পূজোর কলস  ।


চরম অশ্লীল শব্দ

উচ্চারিত হবে মন্ত্র ভাবে ।

অর্চ্চক  হবেন

ন্যায়িক , ধার্মিক , রাজনেতা এবং

তথাকথিত জ্ঞানী  ও মানীগণ  ।


অনেক বছর পরে জানালা খুলতে খুলতে

সেই দুর্লভ দৃশ্য টি আচ্ছন্ন করেছে আমাকে

কোনো অঘটন কে এড়িয়ে যেতে

পরবর্তী পৃথিবী ও আগামী বংশধরদের জন্য

হয়তো উদভ্রান্ত ঈশ্বরের সন্তুষ্টি র জন্য

নিঃশেষ হতে আসা বিশ্বাস কে নিয়ে

এই  শেষতম উদ্যম ।


পূর্ণাহুতি পর্যন্ত খুলে রাখবো জানালা

একবার দেখার জন্য

শেষ হয়ে যাওয়া পৃথিবীর

এক নিষিদ্ধ দৃশ্য   ।।


বাংলা অনুবাদ করেছেন প্রদীপ কুমার রায়


मनोज_कुमार_पंडा

    यज्ञ दृश्य    


एक बिरल घटना घट रही है


आओ, जो जहाँ भी हो

इस पावन यज्ञ को प्रत्यक्ष करो

अपने-अपने बंद घरों की खिड़की से


भूख, बीमारी, युद्ध और दंगे से मरे

सोलह लाख बच्चों की सूखी हड्डियों से

तैयार है हवन कुंड

नाबालिगों के दुष्कर्म से निकले

साठ मन लहू की

आहूति होगी उसमें


पंचशस्य होगा -

सूखापीड़ित लोगों की आँखें

सीमा पर तैनात सैनिकों के हाथ

विस्थापित लोगों के हृतपिंड

असमय गिराए गए भ्रूण

और कवियों की कटी हुई ऊँगलियाँ

दुर्घटना में मरे लोगों की

शोकाकूल माँओं के आँसुओं से भरा पूजा कलस


अश्लीलतम शब्दों से ही

मंत्रोच्चार होगा

अर्चक होंगे

न्यायिक, धार्मिक, राजनेता

और तथाकथित ज्ञानी और मानी गण


काफी साल बाद खिड़की खोलते ही 

वह दुर्लभ दृश्य मुझ पर हावी हो गया है

किसी भी अशुभ को टालने के लिए

अगली पृथ्वी और आनेवाली पीढ़ी के लिए और

हो सकता है उदभ्रांत ईश्वर की संतुष्टि के वास्ते

समाप्त हो रहे विश्वास को लेकर

यह अंतिम प्रयास है


पूर्णाहूति तक खिड़कियों को खुली रखें

एक बार देख लें

खत्म हो रही पृथ्वी के इस निषिद्ध दृश्य को।


 ओड़िआ से भाषांतर : #राधु_मिश्र


A Holy Sight

Manoj Kumar Panda 



Something unusual occurred.

come whoever may,

open up the windows  of your locked rooms

and behold . 


The pyre is all set

On the perched bones of sixteen lakh children

Who died of disease, hunger

wars and riots.

Sixty gallons of blood from the raped ones

Being offered as sacrifice.


The  five holy grains

What are they comprised of?

Famine struck eyes of men , 

Hands of soldiers who protect borders,

Hearts and ribs of migrants,

Fetus discriminately 

killed, 

severed fingers of poets.

 


Tears of bereaved mothers

Who lost their children before time 

Fills the holy pitcher to the brim.


Indecent words 

Would be uttered as hymns.

Who would be the priest?

The judges, preachers, ministers,

So called sage and wise men




The sight has cast a spell on me

As I open my windows after ages.


This might be the last endeavour

For a belief about to fuse.

An endeavour to avert  perils looming large

upon generations to come,

Or an endeavour to appease a wayward god.


I will keep the window open

Till the sacrifices are done,

To witness the forbidden sight again

In this dead world.

            __

Translated by Jayita Mukherjee  ______________________


Pradip Kumar Roy 



            ________________________

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